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शुद्ध का युद्ध विराम:पता नहीं चला मिलावट है या नहीं, 2 साल से अटकी है 299 सैंपलों की जांच रिपोर्ट
मिलावटखोरों के खिलाफ कांग्रेस सरकार ने शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलावाया। अब भाजपा शासन में यही अभियान मिलावट से मुक्ति नाम से चल रहा है। उद्देश्य एक ही है, मिलावट रुके और लोगों को शुद्ध-मानक स्तर की खाद्य वस्तुएं मिले। लेकिन इसमें बड़ी अड़चन सामने आ रही है। वह यह कि खाद्य पदार्थों के सैंपलों की जांच रिपोर्ट समय रहते नहीं आ पा रही है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो वित्तीय वर्ष में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने विभिन्न खाद्य सामग्रियों के 1015 सैंपलों को जांच के लिए भोपाल की राज्य प्रयोगशाला भेजा था। इनमें से 716 की ही रिपोर्ट आई है, 299 सैंपलों की जांच रिपोर्ट का अब तक इंतजार किया जा रहा है।
भोपाल से जांच रिपोर्ट आने में हो रही देरी के पीछे कारण ये बताया जा रहा है कि राज्य प्रयोगशाला में प्रदेशभर के सभी जिलों से सैंपल पहुंचते हैं। ऐसे में वहां इनकी जांच कर रिपोर्ट बनाने में देरी लगती है। बहरहाल इन तमाम परिस्थितियों का असर ये हो रहा है कि खाद्य पदार्थों के सैंपलों की जांच रिपोर्ट समय रहते नहीं आने से संबंधित कारोबारी कार्रवाई से दूर रहते है। मिलावट वाली सामग्री बिकते रहने की आशंका भी बनी रहती है।
किस वित्तीय वर्ष में कितने सैंपल लिए, कितनी रिपोर्ट आना बाकी

नोट : इन दोनों वित्तीय वर्ष में मिलावट के मामले में तीन पर रासुका की कार्रवाई हुई, जबकि 16 मामलों में एफआईआर दर्ज करवाई गई। कुछ मिलावट खोरों के भवन व व्यापारिक स्थल भी तोड़े गए। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक करीब 70 लाख रुपए जुर्माना भी वसूला जा चुका है।